जब आपका बच्चा घर से दूर होगा तो आप क्या कौशल सिखाएंगे? - SB Entertainment Blogs

गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

जब आपका बच्चा घर से दूर होगा तो आप क्या कौशल सिखाएंगे?

                             परिचय

जब बच्चा घर से दूर जाता हैं तब माता पिता को बच्चें को कैसा कौशल सीखाना चाहिए और किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और बच्चें को क्या सलाह देनी चाहिए।

● बच्चा होस्टल में जाए या ट्रेकिंग के लिए माता पिता को चिंता होती है। घर में एक बच्चे को मिलने वाली सुख सुविधा और लाड़ प्यार स्वाभाविक बाहर नही मिलता। उसे अपने दो पैरों पर खड़े होने, दुःख की स्थिति में आगे बढ़ने या अपनी खुद की लड़ाई लड़ने की क्षमता विकसित करनी होगी। माँ की गर्मजोशी और पिता की परछाई के बिना, बच्चो को जहा कही भी जाना है, वहाँ कुछ चीजों सीखनी पड़ती है।

                     शारीरिक कौशल


इनमें से पहला कौशल फिटनेश, टिवी और मोबाइल के बजाय, इसमें फिटनेस होना चाहिए जो एक पेड़ पर चढ़ सकता है, लंबे समय तक चल सकता है, ऐसी फिटनेस उसमें होनी चाहिए। यदि वह बहुत बार थक जाता हैं, तो वह पीछे रह जाएगा और अपना आत्मविश्वास खो देगा। एक होस्टल में भी आपको अपना काम खुद करना होता हैं। विभिन्न गतिविधियों की बहुतायत और अनियमित खाने में उसकि फिटनेस ही जवाब देगी।

शुरुआत में बच्चा ऊब जाता हैं यदि वह बाहरी दुनिया के साथ तालमेल नहीं रख पाता हैं। इस बोरियत से छुटकारा पाने के लिए उसे दो से चार गेम खेलनी आनी चाहिए। यह आवडत उसकी बोरियत को दूर करेगी और पहचान भी देगा।

एक बच्चा जहाँ भी जाएगा वो शांत बैठने वाला नहीं हैं। वह खेलेंगे, कूदेंगे, शोर करेंगे और गिरेंगे, लेकिन उन्हें पहेले, जल सुरक्षा और अन्य सुरक्षा का पता होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चा बस, ट्रेन या साहसिक गतिविधियों को करने के लिए आँख और हाथ का समन्वय कर सकता हैं वो जरूरी हैं।


                       बुद्धिमान कौशल

जब बच्चा बाहर जाए तो क्या खाएं और क्या न खाएं? आप किससे दोस्ती करना चाहते हैं ? कोनसी गतिविधियों में सक्रिय होना? या किसकी मदद लेनी हैं? इस तरह के निर्णय खुद की प्रवृत्ति के अनुसार करने पड़ते हैं। उसे सटीक और निडर निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता हैं।

बच्चा बाहर जो कुछ भी करता हैं वह जसकी अपनी जिम्मेदारी हैं। बैग पैक करना, पैसा बचाना, समय पर उठना या सोना या मजाक करना। बच्चे को पता होना चाहिए कि वह क्या कर रहा हैं।

बच्चे को समय प्रबंधन कौशल भी सीखना चाहिए। कुछ बच्चे शौचालय या स्नान में बहुत समय बिताते हैं। भोजन या गतिविधि में देर से पहुँचे, घर पर ही समय प्रबंधन का अभ्यास कराएं और फिर बच्चे को बाहर भेजें।

जब वह बाहर जाता है तो बच्चा मजाक का शिकार भी हों सकता हैं। विभिन्न सामाजिक बौद्धिक स्तरों के लोग होंगे। हीन भावना महसूस करने के बजाय उनसे कुछ सीखना महत्वपूर्ण हैं। उसे अशिष्ट व्यवहार को सहन करना भी सिखाना चाहिए। घर के जैसा यहाँ अपने मन का होगा यह जरूरी नहीं हैं।


                    भावात्मक कौशल 


यह सबसे अच्छा हे, अगर बच्चा खुद का ख्याल रखता है, लेकिन अगर वह ऐसा नहीं कर सकता है, तो दूसरों की मदद लेना, विश्वास करना और दूसरों का सम्मान करना आवश्य हैं। अगर किसी बच्चे में खुद के बारे में धारणा बनाने और दूसरों को न सुनने की आदत है, तो यह भारी पड़ सकता है।

जब वह बाहर जाता है तो बच्चा खो सकता है, लेकिन इससे उसके उत्साह और आगे बढ़ने के साहस को प्रभावित नहीं होना चाहिए। उसे अपनी गलती का पता लगाने में सक्षम होना चाहिए।

एक बच्चे के आसपास के लोग उनकी स्मार्टनेस की प्रशंसा करते है, लेकिन बच्चे को खुद की सराहना करने में सक्षम होना चाहिए। जब तक कोई बच्चा अपनी क्षमताओ को पहचानना नहीं सिखाता, वह जल्द ही असफल हो जाएगा।

                     सामाजिक कौशल

अगर बालक शर्मिला हे, तो वह दूसरों के साथ घुलमिल नहीं सकता है। के यदि वह अधिक बात करना चाहता है, तो उसके लोग उसका मजाक उड़ाते है। आवश्यकता अनुसार लोगो के साथ आगे बढ़ना है। जो लोग जल्दी से संवाद कर सकते हैं, वे दूसरों द्वारा स्वीकार किए जाने की अधिक संभावना रखते है।

यदि बच्चा उन लोगो के संपर्क में रहता है जिनकी साथ वह बाहर दोस्ती करता है, तो उसकी साथ वह बाहर दोस्ती करता है, तो उसकी चुप्पी व्यापक हो जाएगी और वह दूर रहने पर भी दोस्त बनाना सीख जाएगा।

विभिन्न मित्रों से उसकी संस्कृति और पर्यावरण के बारे में सकारात्मक बाते सीखने के लिए उसको तैयार करे। जब कोई बच्चा बाहर की दुनिया में पैर रखता है, तो उसकी आंखों और कान खुले रखना आवश्यकता है। भले ही वह बदमाश न बने, लेकिन उसे धोखा नहीं दिया जाना चाहिए।

किसी को भी इसकी का फायदा न उठाने दे। बच्चे को सिखाए की जब वे बाहर जाए तो आभासी दुनिया के बजाय वास्तविक दुनिया में रहने की कोशिश करे। बच्चों को बाहर रहने के लिए अच्छा पानी और भोजन प्रदान किया जाना चाहिए। इसलिए आज के बच्चो को वैसे कुछ भी सिखाना नहीं पड़ता, लेकिन माता पिता के मार्गदर्शन की जरूरत है।





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