राकेश
और स्वेता एक दूसरें से
बेहद प्यार करते थे वो दोनों
एक ही कॉलेज में
एक साथ ही पढ़ाई कर
रहे थे और दोनों
का अब कॉलेज में
एक साथ पढ़ाई का आखिरी ही
साल बचा हुआ था।
 
एक
दिन स्वेता और राकेश एक
पार्क में धुमनें के लिए गए
तब स्वेता नें राकेश से पूछा की
राकेश तुम मुझसें कितना प्यार करतें हों और तुम मुझसें
शादी करोगें या बस यूं
ही प्यार करके छोड़ दोगें।
 तभी
राकेश नें स्वेता से कहा कि
स्वेता आज तुम मुझसें
ये कैसा सवाल पूछ रही हो तो स्वेता
नें कहा कि राकेश ये
सवाल में तुमसें इसलिए पूछ रही हूं क्योंकि मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूं।
और
मैं मन ही मन
तुम्हें अपना सब कुछ मान
चुकीं हूं और अगर तुमने
मुझे कभी "छोड" भी दिया तो
भी मैं तुम्हे भूल नही पाऊंगी ये कहते ही
स्वेता की आँखों मे
आंसू आ गए "स्वेता
को इस तरह रोतें
देख" राकेश ने सबसे पहेले
उसके आँसू पोछे और फिर स्वेता
को अपनी बाँहो में ले लिया और
फिर उससे ये कहा कि
पगली मैंने तुम्हें "छोड़ने के लिए" थोड़ी
प्यार किया है।हमारा प्यार तो सात जन्मों
तक रहेगा।
 और
मैं जल्द ही अपनें घरवालों
के साथ तुम्हारे पिताजी से तुम्हारा हाथ
मांगने जरूर आऊंगा ये सुनते ही
स्वेता बहुत खुश हो गयी और
खुशी के मारे वो
फिर से राकेश की
बाहों मे लिपट गयी।
 और
फिर वो दोनों ही
अपने अपने घर चलें गए
अब कुछ ही महीनों में
दोनों की कॉलेज की
पढ़ाई भी पूरी हो
गयी थी। अब दिन ब
दिन राकेश और स्वेता का
भी प्यार बढ़ता ही जा रहा
था।
 एक
दिन राकेश स्वेता से फोन करके
कहता हैं कि स्वेता आज
मैं अपनें माता पिता के साथ तुम्हारें
घर आ रहा हूँ।
तुम्हारें और मेरे रिश्ते
के लिए। ये बात सुनकर
स्वेता बहुत ही ख़ुश होकर
राकेश से कहती हैं।
राकेश
आज तो तमने मुजे
सरप्राइज ही कर दिया
तुम जल्दी आ जाओ और
मैं जल्दी ही तैयार हो
जाती हूं। तो करीब एक
घंटे में ही राकेश और
उसके माता पिता स्वेता के घर पर
पहुंच जाते हैं।
लेकिन
जब राकेश स्वेता के घर पहुँचता
हैं तो वो क्या
देखता हैं कि स्वेता का
तो इतना बड़ा घर था और
वह मन ही मन
ये सोचता है कि शायद
स्वेता के पिताजी बहोत
ही अमीर हैं।
लेकिन
हमारा परिवार तो इनके आगे
कुछ भी नहीं तभी
राकेश नें स्वेता के घर की
बैल बजाई बैल बजते ही स्वेता समझ
जाती हैं कि राकेश आ
गया और वो अपनें
नौकर को मना कहकर
खुद ही दरवाजा खोलने
चली जाती हैं।
 
और
राकेश व उसके परिवार
का स्वागत करतीं हैं और उन्हें अंदर
लेकर जाती हैं।
अंदर
जातें ही राकेश के
माता पिता इतने बड़े घर को देखकर
ये सोचतें हैं कि पता नहीं
स्वेता के पिताजी ये
रिश्ता करेंगे या नही।
तभी
अचानक स्वेता के पिता भी
आ जाते हैं और सभी के
लिए नाश्ता पानी मँगवाते हैं। तो तभी राकेश
के पिताजी ने राकेश के
लिए स्वेता के पिताजी से
स्वेता का हाथ मांग
लिया।
तो
स्वेता के पिताजी ने
राकेश से पूछा कि
बेटा तुम काम क्या करतें हों तब राकेश नें
बड़ी ही प्यार से
कहा कि अंकल जी
मैंने रेलवे में बड़ी पोस्ट पर फॉर्म भर
रखा हैं और मैंने उसके
पेपर भी दे दिए
हैं।
और
बस अब रिजल्ट आना
ही बाकी हैं। तभी स्वेता के पिताजी ने
फिर ये पूछा कि
उस रेलवे की पोस्ट पर
तुम्हारी सैलरी कितनी होगी तो राकेश ने
कहा कि अंकल जी
यही कोई 35,000 के आसपास होगी।
ये
सुनतें ही स्वेता के
पिताजी ने राकेश से
बहुत  ही
गुस्से में कहा कि तुम्हें पता
हैं कि 35,000 तो मेरी बेटी
5 दिन में खर्च कर देती हैं
और तुम्हें शायद ये भी नहीं
पता होगा कि मेरी बेटी
स्वेता हर हफ़्ते 7 से
10 हजार की तो बाहर
शॉपिंग करके ही खर्च कर
देती हैं।
ये
सुनतें ही राकेश के
पिताजी ने भी गुस्से
में स्वेता के पिताजी से
ये कह दिया कि
शायद आपको इस धन दौलत
पर बहुत ही ज्यादा घमंड
हैं।
रखिये
अपनी घन दौलत अपने
पास और अपनी बेटी
की शादी किसी करोड़पति लड़के से करवाना तभी
वो अपने बेटे राकेश का हाथ पकड़
कर ये कहते हैं
कि चलों बेटा हम तेरा रिश्ता
कहीं और करवा देंगे।
तभी
राकेश स्वेता के पिताजी के
आगे हाथ जोडक़र ये कहता कि
अंकल जी मैं आपकी
बेटी से बेहद प्यार
करता हूं और स्वेता भी
मुझसे बहुत प्यार करती हैं।
तो
प्लीज़ इस रिश्ते के
लिए आप मान जाइये
और आपसे मै वादा करता
हूं कि मैं आपकी  बेटी
को जरा भी दुखी नहीं
रखूँगा। ये सुनते ही
स्वेता की भी आंखों
में आंसू आ जाते हैं।
और
वो भी अपने पिताजी
से कहती हैं कि पिताजी में
भी राकेश से बेहद प्यार
करती हूं और में उसके
बिना किसी ओर से कभी
भी शादी नही कर पाउंगी। बेटी
की ये बात सुनकर
उसके पिताजी ने उसको एक
थप्पड़ मार दिया।
तभी
स्वेता रोती हुई अपने कमरें में चली गयी और स्वेता के
पिताजी ने गुस्से में
अपने नौकर से कहा कि
इन लोगो को यहाँ से
बाहर निकाल दो ये सुनते
ही राकेश और उकसे माता
पिता बड़े ही निराश होकर
स्वेता के घर से
चलें गए।
और
जल्द ही स्वेता के
पिताजी नें स्वेता कि एक बड़े
घर में शादी तय कर दी
और उन्होंने उसकी जबरदस्ती ही एक महीने
के अंदर सगाई भी करवा दी।
उधर
राकेश की रेलवे में
नौकरी भी लग चुकी
थीं। तब एक दिन
अचानक स्वेता ने राकेश को
फ़ोन करके ये कहा कि
राकेश तुम कहाँ चले गए थें। मैंने
कितनी बार तुम्हारा नंबर मिलाया लेकिन तुम्हारा नंबर बंद जा रहा था।
 और
मैंने अपनी सहेली को भी कितनी
बार तुम्हारें घर पर भेजा
था मगर तुम्हारें घर तो ताला
लगा हुआ था। फिर मुझें तुम्हारा एक दोस्त मिला
तो मैंने उससे तुम्हारा नंबर लेकर तुम्हें फ़ोन किया हैं।
 मेरे
पिताजी ने मेरी सगाई
जबरदस्ती ही किसी और
से करवा दी लेकिन में
तुम्हारे बिना नहीं रह सकती तुम
जल्दी यहाँ आ जाओ राकेश
वरना में अपनी जान दे दूँगी।
 तब
राकेश नें कहा कि स्वेता मैं
भी तुमसे बेहद प्यार करता हूं लेकिन प्लीज़ तुम ऐसा कोई भी कदम मत
उठाना की जिसकी वजह
से तुम्हारें घरवालों को शर्मिंदा होना
पड़े और स्वेता अगर
हमारा प्यार सच्चा होगा तो हमें मिलने
से कोई भी नही रोक
सकता।
और
स्वेता अगर हमने घर से भागकर
शादी कर भी ली
तो तुम्हें पता हैं जीवन के आने वाले
वक़्त में हमारे बच्चें भी ऐसा ही
करेंगे और फिर हमें
भी शर्मिंदा होना पड़ेगा।
इसलिए
स्वेता हमें हमारे प्यार पर पूरा विश्वाश
रखना चाहिए और उस भगवान
पर भी जिसनें हम
दोनों को सच्चा प्यार
करवाया। अब बस तुम
वैसे ही करो जैसा
तुम्हारें घरवाले तुमसे कह रहे हैं।
 ये
बात कहते हुए राकेश की आँखों में
आँसू आ रहे थें।
लेकिन उसने अपना सारा दर्द छुपातें हुए स्वेता को गलत कदम
उठाने से बचा लिया
अब स्वेता नें रोते हुए राकेश से ये कहा
कि राकेश मैं तुम्हारे कहनें से अपने परिवार
की बात मानकर ये शादी जरूर
कर लूंगी।
 मगर
तुम ये बात याद
रखना कि शादी करके
किसी और के पास
मेरा शरीर ही जायेगा मगर
मेरी आत्मा हमेशा सिर्फ तुमसें ही प्यार करेगी।
 ये
कहकर स्वेता रोती हुई फ़ोन को काट देती
हैं। उधर राकेश भी बहुत रोता
हुआ ज़मीन पर बैठ जाता
हैं। अब स्वेता की
शादी का दिन भी
आ गया और अब तो
उसके चौखट पर बारात भी
आ गई थी।
 तभी
अचानक जैसे ही स्वेता दुल्हन
के जोड़ें में सीढ़ियों से नीचे उतर
रहीं थीं वैसे ही उसे बड़ी
ही तेजी से चक्कर आ
गए और वो चक्कर
खाकर सीढ़ियों से निचे की
तरफ गिरती हुई चली गयी।
और
नीचे गिरकर वो बेहोश हो
गयी और स्वेता के
सिर और पैर में
बहुत ज्यादा चोट लग गयी थी।
और शायद उसके पैर की हड्डी भी
टूट गयी थीं। तभी स्वेता के पिताजी ने
फटाफट एक एम्बुलेंस बुलवाई
और जल्दी से वो उसे
हॉस्पिटल लेकर गए।
 ओर
तभी राकेश के एक दोस्त
ने राकेश को भी फ़ोन
कर के हॉस्पिटल ही
बुला लिया। राकेश को हॉस्पिटल में
देख कर स्वेता के
पिताजी उसपर  बहुत
गुस्सा होते है।
 मगर
वहाँ उनके सभी रिश्तेदार होने के कारण वो
उसे कुछ भी नहीं कह
पातें। तभी डॉक्टर स्वेता का इलाज करके
बाहर आतें हैं।तो स्वेता के पिताजी ने
डॉक्टर से पूछा कि
डॉक्टर क्या अब मेरी बेटी
ठीक हैं।
 तब
डॉक्टर कहता हैं कि उनके पैर
की हड्डी कुछ ज्यादा ही टूट गयी
इसलिए हमनें उसका छोटा सा ऑपरेशन कर
दिया हैं। और हाँ अब
शायद इसका पैर हल्का सा टेढ़ा भी
रहेगा ये कहकर डॉक्टर
वहाँ से चला जाता
हैं।
 तब
स्वेता के पैर के
बारें में सुनकर स्वेता के होने वाले
ससुर नें उसी वक़्त स्वेता से अपने बेटे
की शादी के लिए बिल्कुल
ही मना कर दिया।
 तभी
स्वेता के पिताजी उसके
आगे हाथ जोड़कर कहते हैं। कि समधी जी
आप इस शादी के
लिए कैसे मना कर सकतें हैं।
हमारी सारी तैयारियां हो चुकी हैं
और आप इन वक़्त
पर इस इस शादी
के लिए मना कर रहें हो।
कृपया समधी जी हमारी इज्जत
को समजीए और इस शादी
के लिए मना मत करिए।
 आप
चाहें तो मुझसे 10 से
20 लाख रुपये और ले लीजिए
मगर मेरी बेटी को अपना लीजिए
और मैं कुछ भी करके अपनी
स्वेता का पैर बिल्कुल
ठीक करवा दूँगा।
 तभी
दुल्हे का बाप स्वेता
के पिताजी का हाथ हटाते
हुए गुस्से में कहता हैं कि तुम्हारी औकात
ही क्या हैं मेरे सामने तुम मेरे बेटे को क्या 10 से
20 लाख रुपयो में खरीदना चाहते हो।
 तुम्हे
पता भी हैं 10 से
20 लाख तो मेरा बेटा
यूँ ही खर्च कर
देता हैं। और तुम्हारी बेटी
के साथ अपने बेटे की शादी में
इसलिए करवा रहा था क्योंकि तुम्हारी
बेटी बहुत ही सुंदर थी
मगर अब तो उसका
पैर ही टूट गया
और हमारे यहाँ इसे अपशुकन कहते हैं।
 इसलिए
में अभी के अभी तुम्हारी
बेटी के साथ अपने
बेटे का रिश्ता पूरी
तरह तोड़ता हूँ ये कहकर वो
अपने बेटे और पुरी बारात
को वापस लेकर चला जाता है।
 और
इस बात से दुखी होकर
स्वेता के पिताजी हॉस्पिटल
में ही बहुत रोने
लग जातें है और उन्हें
वो सारी बात याद आ जाती हैं
जो उन्होंने राकेश के पिताजी से
कही थीं।
 और
उनकी बहुत बेज्जती भी की थी
उसी तरह आज उनकी भी
बेज्जती ही हो गयी
और पैसा भी घरा का
घरा ही रह गया
ये बात सोचकर स्वेता के पिताजी बहुत
दुखी हो रहे थे।
 कि
तभी अन्दर से एक नर्स
स्वेता को व्हील चेयर
पर बाहर लेकर आई। और स्वेता भी
बहुत ही रोनें लगी
तभी स्वेता के पिताजी ने
रोते हुए स्वेता से कहा कि
बेटी अभी अभी तेरे होने वाले ससुर ने ये रिश्ता
तोड़ दिया।
 वो
दूल्हे ओर बारात को
भी वापस ले गए तभी
स्वेता अपने पिताजी का हौसला बढ़ाते
हुए कहती हैं। कि पिताजी जो
होता है अच्छे के
लिए ही होता हैं।
और आपकी बेटी का दूल्हा और
बारात आपके बिल्कुल सामने ही खड़े है।
 तभी
स्वेता के पिताजी देखते
हैं कि राकेश और
उसके पिताजी और राकेश के
सभी दोस्त हाथ जोड़कर खड़े हुए थे। तभी स्वेता अपने पिताजी से कहती है।
कि पिताजी अब फैसला आपके
हाथों में हैं।
 कि
आपको अपनी धन दोलत के
बराबरी वाला लड़का चाहिए है या आपकी
इज्जत करने वाला और मुजे सच्चा
प्यार करने वाला।
 ये
सुनते ही स्वेता के
पिताजी राकेश के पिताजी के
पास जाकर हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं। और कहते हैं
कि उस दिन मैने
आपकी इतनी ज्यादा बेज्जती की थीं उसके
लिए मै आपसे माफ़ी
मांगता हूं। कृपया मुजे माफ़ कर दीजिए।
उस
वक़्त मैं अपनी धन दौलत में
अंधा हो चुका था।
तभी राकेश के पिताजी ये
कहते है कि आप
ये माफी वाफ़ी छोड़िए। और राकेश ओर
स्वेता की शादी की
तैयारिया कीजिये।
 तब
सभी लोग शादी में पहुँच जाते हैं। स्वेता के पिताजी भी
बहुत ही खुश हो
जाते हैं।
लेकिन
स्वेता के तो पैर
में चोट लगी हुई थीं। तो शादी में
फेरे कैसे हो पातें। तभी
राकेश ने स्वेता को
अपनी गोद में उठा लिया।
 और
गोद में उठाकर राकेश ने सारी रस्में
पूरी कर दी। और
राकेश ने स्वेता से
कहा कि मैने कहा
था ना स्वेता अगर
हमारा प्यार सच्चा होगा तो वो जरूर
मिलेगा।
 ये
सुनते ही स्वेता बहुत
ही ख़ुश हो जाती हैं
और राकेश की गोद में
बैठे बैठे ही उसकी बाहों
में लिपट जाती हैं। और मिल जाता
हैं राकेश और स्वेता का
सच्चा प्यार।
तो  दोस्तो
इस कहानी में स्वेता के पिताजी को
भी सबक मिल गया और राकेश व
स्वेता का भी प्यार
मिल गया। 
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