राज और सुमन की शादी को 15 साल हो गए थें। और दोनों ही एक दूसरें से बेहद प्यार करतें थें। मगर हर पति पत्नी की तरह उन दोनों में भी थोड़ी बहुत नोक जोक चलती रहती थी। जिससे कई बार सुमन जूझला जाती थीं। और सुमन बात बात पर अपने पति राज की गलतियाँ निकालती रहती थी।
और
शायद थोड़ी बहुत लड़ाई से भी सुमन
बहुत परेशान हो जाती थी।
एक दिन सुमन अपनी शादी की सालगिरह पर
दो डायरी लेकर आई और उसने
एक डायरी अपने पति को देते हुए
कहा कि राज तुम्हें
मुझसें जितनी भी शिकायत हो
और मुझमें जितनी भी कमियाँ हें
तो वो सारी कमियाँ
तुम हमारी अगली सालगिरह तक इस डायरी
में लिख देना। और मुझे भी
तुमसे जितनी भी शिकायत होगी
वो सभी इस डायरी में
लिख दूंगी।
और
देखतें ही देखतें साल
बीत गया। और जेसे ही
उन दोनों की शादी की
सालगिरह का दिन आ
गया। तो सुमन नें
अपनी लिखी हुई डायरी अपने पति राज को दे दी।
और राज ने भी अपनी
पत्नि सुमन की सभी शिकायते
लिखकर उसे डायरी दे दी।
तभी
राज अपनी पत्नी सुमन की डायरी पढ़ना
शुरू करता हैं। उसकी पत्नी सुमन की डायरी में
लिखा था।
तुमने
पिछलें साल मझें अपने मम्मी डैडी के जन्मदिन पर
जाने नहीं दिया। और इस करवा
चौथ पर तुमने मुजे
शौपिंग भी नहीं करवाई।
और हनीमून पर शिमला जाएंगे
कहते कहते तुम्हें 10 साल हो गए मगर
अभी तक शिमला लेकर
नहीं गए।
और
तुम पिछले रविवार को मेरे साथ
बाजार गए थें। तो
बाज़ार से आते वक़्त
मूझें गोलगप्पे खाने थें मगर तुमने यह कहकर मूझें
गोलगप्पे खाने ही नहीं दिए
कि सुमन जानू बाहर की चीजें कभी
भी नहीं खानी चाहिए। और मूझें बिना
गोलगप्पे खिलाएं ही घर वापस
ले आए।
और
फिर जब मैं ज्यादा
नाराज हो गयी। तो
फिर तुम खुद जाकर रात को बाजर से
गोलगप्पे ख़रीदकर लेकर आए। आप मेरी हर
ख्वाहिश पूरी जरूर करते हो। बस पहले मुझे
बहुत नाराज कर देते हो।
उसके बाद ही मेरी बात
मानतें हो।
ये
आदत आपकी बहुत गंदी हे। एसी ही न जाने
कितनी ही शिकायतों से
डायरी के 10-12 पेज भरें हुए थें। उन सभी शिकायतों
को पढ़ता रहा और उन्हें पढ़कर
खूब हँसता रहा। मानो जैसे वो अपनी पत्नी
से बिल्कुल भी खफा नहीं
था। 
अब
राज की डायरी उसकी
पत्नी सुमन पढ़ती हैं।
और
जैसे ही सुमन अपनेे
पति राज की डायरी को
खोलकर पढ़ने लगती है। तो उसकी पत्नी
ने क्या देखा कि डायरी तो
पूरी खाली थी। और उसमें कुछ
भी नहीं लिखा हुआ था। तो सुमन अपने
पति से बहुत गुस्सा
होकर बोली। कि राज तुमने
मेरी दी हुई डायरी
में कुछ भी नहीं लिखा।
और
तुमने मेरी एक बात भी
नहीं मानी। तभी राज ने डायरी का
आखिरी पेज खोलकर अपनी पत्नी के सामने रख
दिया। और उस पेज
पर कुछ लिखा हुआ था। जिसे पढ़कर ही सुमन की
आँखों से आँसू बहने
लगें। डायरी के आखिरी पेज
पर लिखा था।
कि सुमन तुम्हारें अंदर कुछ कमियों जरूर हे। मगर तुम्हारी अच्छाइयों को में इस डायरी में लिखूँगा तो शायद ये डायरी भी कम पड़ जाएगी। क्योंकि तुम अपने माता पिता को छोड़कर आई और यहाँ मेरे माता पिता को अपने माता पिता जेसा प्यार दिया। और उनको सम्मान दिया और मेरे बुरे वक़्त में तुमने मेरा कितना साथ दिया।
और
जीवन में तुमनें मेरा कितना हौसला भी बढ़ाया। और
जीवन में आने वाली सभी दुःख तकलीफ़ में तुमने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा। हर साल तुम
मेरी लंबी उम्र के लिए करवाचौथ
का व्रत भी रखती हो।
और हाँ ऑफिस जाते वक़्त मुझे जो भी चीज
चाहिए वो तुम मेरे
ऑफिस जाने से पहले ही
मेरे लिए तैयार रखती हो।
और
तुम मुझसें इतना सारा प्यार भी तो करतीं
हो। और ऐसी बहुत
सारी तुम्हारे अंदर अच्छाइयों हे। सुमन की मैं इस
डायरी मे क्या क्या
लिखूँ बस मैं इस
डायरी में इतना ही लिखूँगा की
हर जन्म में तुम मेरी ही जीवन साथी
बनना सुमन "तुम्हारा राज"
डायरी
पढ़ते पढ़ते सुमन बहुत रोने लगी। रोते हुए वो अपने पति
की बाहों में लिपट गयी। और कहने लगी
कि राज मे भी कितनी
पागल हूं ना। कि मैने जरा
सी बात का इतना बड़ा
पतंगड बना दिया। तभी उसका पति कहता हैं कि सुमन छोटी
मोटी लड़ाइयाँ तो पति पत्नी
के बीच होती ही रहतीं है।
इसका मतलब ये नहीं कि उनका प्यार कभी भी कम हो जाये। और सुमन तुम कभी भी ये मत सोचना कि तुम्हारें लिए मेरा प्यार कभी कम हो जायेगा। हमारे बीच चाहें जितने भी जगडे हो जाए। मैं तुम्हें हमेशा चाहता रहूँगा। ये बात सुनतें ही सुमन के मन में अपने पति के लिए और भी इज्जत बड़ गयी।
तो दोस्तों पति पत्नी के बीच थोड़ी बहुत लड़ाईयां तो होती ही रहती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इससे आपका प्यार कभी भी कम हो जाए। तो अपने प्यार को हमेशा बरकरार रखो और हमेशा खुश रहो। 



 
 
 
 
 
 
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