(एक सच्ची दोस्ती की कहानी)
और
वो दोनों इस बात से
बहुत खुश थें कि उन दोनों
की नौकरी भी एक साथ
और एक ही ऑफिस
में लग गई थीं।
अब रवि ने मोटर साइकिल
भी खरीद ली थीं। इसलिए
रवि सुनील को ऑफिस से
घर साथ ही लेकर जाता
था।
एक
दिन जब रवि और
सुनील ऑफिस गए तो उन्होंने
क्या देखा। कि नेहा नाम
की लड़की उनके ऑफिस में नई नई काम
पर लगी हैं। और वो देखनें
में बहुत ही खूबसूरत थीं।
रवि और सुनील ने
जब नेहा को पहेली बार
देखा तो वो दोनों
तो बस नेहा को
देखते ही रह गए।
फिर
नेहा अपने काम में लग गयी। और
रवि और सुनील भी
अपनें अपनें काम में लग गए पर
शायद रवि और सुनील दोनों
ही नेहा को लाइक करनें
लगे थें।
और दोनों ही किसी ना किसी बहाने से नेहा से बात करतें रहतें थे। एक दिन रवि नें सुनील से कहा कि यार सुनील नेहा तो बहुत खूबसूरत हैं और तुझे पता हैं मुझे उससे प्यार हो गया हैं। तो सुनील यार मेरी कुछ हेल्प कर न प्लीज।एक बार मेरी सेटिंग नेहा से करवा दे यार मगर शायद रवि को ये नहीं पता था कि सुनील भी नेहा को मन ही मन बहुत चाहता हैं। लेकिन सुनील नें सोचा कि रवि मेरा बहोत अच्छा दोस्त हैं तो उसके आगे नेहा क्या चीज हैं।
तब
सुनील कहेता हैं कि रवि वाकई
में तेरी और नेहा की
जोड़ी बहोत अच्छी लगेगी। और तू चिंता
मत कर नेहा भी
एक दिन तुमसे जरूर प्यार करनें लगेंगी।
एक
दिन नेहा का जन्मदिन था।
और नेहा ने अपनें जन्मदिन
में ऑफिस के सभी लोग
को बुलाया। ये बात सुनकर
रवि बहुत खुश हो गया। और
सुनील से कहने लगा
कि सुनील नेहा के लिए मे
एक बड़ा सा गिफ्ट खरीद
लेता हूँ। और मे उसके
लिए ऐसा गिफ्ट लूँगा कि वो समज
जाए कि मैं उससे
बहुत प्यार करता हू।
तभी
सुनील अपना मन दबातें हुए
कहता हैं। हाँ रवि तू उसके लिए
एक कपल्स वाला गिफ्ट ले लेना उस
गिफ्ट को देखकर नेहा
जरूर तेरे प्यार को समझ जाएगी
तभी ऑफिस से छुट्टी हो
जाती हैं।
और
अचानक नेहा का फोन सुनील
के पास आता हैं। उसको नेहा कहती हैं सुनील तुम्हें मेरे जन्मदिन पर जरूर आना
हैं। और टाइम से
ही मेरे घर पहुँच जाना
ओके। ये कहकर नेहा
फोन रख देती हैं।
तब
सुनील सोचता हैं। कि नेहा ने
मुझे फोन क्यों किया। कहीं नेहा के मन में
मेरे लिए कुछ भी ना हो
भगवान प्लीज नहीं तो मेरे दोस्त
रवि का दिल टूट
जाएगा। तब अगलें दिन
रवी और सुनील नेहा
के जन्मदिन की पार्टी मे
पहुँच जातें हैं।
नेहा
ने अपनी जन्मदिन की पार्टी घर
में ही रखी थीं।
जैसे ही रवि और
सुनील नेहा के घर के
अंदर जाते हैं। तभी नेहा खुद उनको दरवाजे पर लेने जाती
हैं। मगर ये क्या नेहा
सिर्फ़ सुनील का हाथ पकड़कर
अंदर ले जाती हैं।
मानो
जैसे नेहा सुनील का ही इंतजार
कर रही थीं। मगर जब सुनील ने
देखा तो रवि वहीं
गेट के पास ही
खड़ा हुआ था। तभी वो उसे लेने
वहा चला गया। लग रहा था
जैसे रवि कुछ नाराज था। मगर सुनील ने उस हँसते
हुए कहा कि रवि नेहा
को जन्मदिन का गिफ्ट तो
दे दो।
तब
रवि नेहा को गिफ्ट देकर
कहता हैं। "हैप्पी बर्थडे नेहा" तभी  नेहा
रवि को थैंक्स यू
कहती हैं। और सुनील से
पूछती हैं कि सुनील तुम
मेरे लिए जन्मदिन का गिफ्ट नहीं
लाये।
सुनील
कहता हैं सॉरी नेहा में तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं ला
पाया। नेहा कहती हैं चलो कोई बात नहीं सुनील अब केक काटते
हैं। नेहा अब केक के
उपर की मोमबत्ती भुजातीं
हैं। और सभी ताली
बजाते हुए नेहा को हैप्पी बर्थडे
कहतें हैं।
नेहा
ने केक काटकर पहले अपनी मम्मी पापा को खिलाया। और
फिर केक काटकर सुनील को जबरदस्ती खिला
दिया। और उसी वक़्त
नेहा ने सुनील के
बारे में अपनी मम्मी पापा को बताया। और
सुनील ने नेहा की
मम्मी पापा को नमस्ते कहा।
और
उनसे ये भी कहा
कि आंटी अंकल जी ये रवि
हैं। मेरा बचपन का दोस्त और
मेरा सबसे अच्छा दोस्त। तभी रवि ने भी उनसे
नमस्ते कहा लेकिन रवि सुनील से बहुत नाराज
था। क्योंकि नेहा बार बार सुनील से ही बात
कर रहीं थीं।
सुनील
रवि को उदास देखकर
बहुत दुखी हो रहा था।
तब सुनील नेहा से 2 मिनट अकेले में बात करने के लिए पूछता
हैं। तो नेहा उसे
बात करने के लिए हाँ
कर देती है। और अंदर के
एक कमरे में ले जाती हैं।
और
पूछती हैं। कि बताओं सुनील
तुम्हें क्या कहना हैं। सुनील कहता हैं कि नेहा मैं
तुमसे जो बात कहने
जा रहा हूँ अगर तुम्हें थोड़ा भी बुरा लगे
तो प्लीज मुजे माफ़ कर देना। नेहा
कहती हैं सुनील तुम्हें जो भी कहना
हैं तुम खुल कर कहो। सुनील
कहता हैं नेहा मेरा दोस्त रवि तुम्हें बहुत ज्यादा चाहता हैं।
वो
तुम्हें दिल से प्रेम करता
हैं। और शायद इतना
चाहनें वाला लड़का तुम्हें कभी नहीं मिल पाएगा नेहा। तब नेहा सुनील
से कहती हैं। कि सुनील मैनें
सोचा कि तुम मुजे
अपनें दिल कि बात मुझसे
कहोगे लेकिन तुमनें तो मेरा दिल
ही तोड़ दिया। सुनील मैनें अपने घरवालों को सिर्फ तुम्हारें
बारें में ही बता रखा
हैं। और मैं तुम्हारे
दोस्त से नहीं बल्कि
तुमसें प्यार करती हूँ। और प्यार कोई
खेल नहीं हैं सुनील।
और
जरा तुम अपनें दिल पर हाथ रखकर
कसम खाओ। कि तुम मुझसे
प्यार नहीं करतें। सुनील कहता हैं नेहा मैं तुमसें बहुत प्यार करता हूँ। लेकिन सॉरी नेहा मेरे लिए तुमसें कहीं ज्यादा प्यारा मेरा दोस्त रवि हैं।
बाहर
खिड़की में से नेहा और
सुनील की सारी बातें
रवि सुन रहा था। तभी वो अचानक अंदर
ही आ जाता हैं।
सबसे पहेले तो वो अपनें
दोस्त सुनील को गले से
लगाता हैं। और कहता हैं
कि सुनील तेरा जैसा दोस्त तो मुझे हर
जन्म में मिलना चाहिये।
तू
मेरे लिए इतना बड़ा बलिदान देने जा रहा था।
शायद इतना तो मैं भी
तेरे लिए कभी नहीं कर पाता। मेरे
दोस्त तू मेरी खुशी
के लिए नेहा का प्यार भी
ठुकरा रहा था पगलें। आज
तूने मेरा दिल जीत लिया लेकिन सुनील तुम दोनों का प्यार भी
सच्चा हैं। 
इसलिए
तुज़े नेहा के प्यार को
अपनाना ही होगा। सुनील
कहता हैं लेकिन तेरे प्यार का क्या होगा
रवि। तब रवि कहता
हैं अरे पगलें मेरा तो एक तरफ़ा
प्यार था। जो कभी नहीं
मिल सकता और सुनील तू
मेरे लिए इतना कुछ कर सकता हैं।
तो क्या मैं तेरे लिए कुछ भी नहीं कर
सकता।
ये
कहकर रवि सुनिक का हाथ नेहा
के हाथों में थमा देता हैं। और कहता हैं
कि सुनील तुम दोनों का प्यार तो
मिल गया। मगर अपनें दोस्त को भूल मत
जाना। सुनील नहीं यार ऐसा भला कभी हो सकता हैं।
तब
रवि कहता हैं। अरे पगलें में तो मजाक कर
रहा था। इस बात पर
तीनों ही हँसने लग
जातें हैं।
तो दोस्तों ये थी कहानी "दो दोस्त एक गर्लफ्रैंड" की।
 



 
 
 
 
 
 
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